Detailed Notes on Shodashi

Wiki Article



The mantra seeks the blessings of Tripura Sundari to manifest and satisfy all preferred results and aspirations. It is thought to invoke the merged energies of Mahalakshmi, Lakshmi, and Kali, with the ultimate aim of attaining abundance, prosperity, and fulfillment in all elements of life.

बिंदु त्रिकोणव सुकोण दशारयुग्म् मन्वस्त्रनागदल संयुत षोडशारम्।

हस्ते पङ्केरुहाभे सरससरसिजं बिभ्रती लोकमाता

सर्वानन्द-मयेन मध्य-विलसच्छ्री-विनदुनाऽलङ्कृतम् ।

साशङ्कं साश्रुपातं सविनयकरुणं याचिता कामपत्न्या ।

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥२॥

हव्यैः कव्यैश्च सर्वैः श्रुतिचयविहितैः कर्मभिः कर्मशीला

लक्षं जस्वापि यस्या मनुवरमणिमासिद्धिमन्तो महान्तः

The iconography serves as a focal point for meditation and worship, enabling devotees to connect with the divine energy of the Goddess.

The Tripurasundari temple in Tripura state, locally often known as Matabari temple, was initial Launched by Maharaja Dhanya Manikya in 1501, even though it was almost certainly a spiritual pilgrimage web page For numerous generations prior. This peetham of electrical power was in the beginning intended to certainly be a temple for Lord Vishnu, but due to a revelation which the maharaja had inside of a desire, He commissioned and set up Mata Tripurasundari in its chamber.

Getting the eye of  Shodashi, ones click here thoughts toward Other folks grow to be much more constructive, considerably less vital.  Types relationships morph right into a point of great natural beauty; a point of sweetness. This is the indicating from the sugarcane bow which she carries generally.

The noose symbolizes attachments, Whilst the goad signifies contempt, the sugarcane bow displays desires, as well as the flowery arrows characterize the five feeling organs.

यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी हृदय स्तोत्र संस्कृत में

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

Report this wiki page